रात गए एक व्यक्ति को सड़क से गुजरते देखकर सिपाही ने पूछा, "इतनी रात को कहाँ जा रहे हो?" व्यक्ति ने उत्तर दिया, "प्रवचन सुनने जा रहा हूँ।" सिपाही ने फिर पूछ- "प्रवचन कहाँ हो रहा है?" व्यक्ति बोला, "मेरे घर में।" सिपाही ने प्रश्न किया- "किसका?" व्यक्ति क्षुब्ध होकर बोला, "मेरी बीवी का।" | |||||||
१ दिसंबर २००८ | |||||||
एक दिन दो पड़ोसियों में तूतू मैं मैं हो गई। पहले ने कहा, "भाई साहब, मैं तो आपको शरीफ़ आदमी समझता था। "मेरा भी यही विचार था कि आप शरीफ़ आदमी हैं।" "आपका विचार ही सही था। गलत तो मेरा अंदाज़ हो गया।" २४ नवंबर २००८ | |||||||
"अरी, मोटर ड्राइविंग के तुम्हारे टेस्ट का क्या हुआ? क्या तुम्हें लाइसेंस मिल गया? एक पड़ोसिन ने दूसरी पड़ोसिन से पूछा। "अभी कहाँ, अभी तो मेरा इंस्ट्रक्टर ही अस्पताल में है।" दूसरी ने अत्यंत भोलेपन से उत्तर दिया। | |||||||
१७ नवंबर २००८ | |||||||
एक बार एक फिल्म के प्रोड्यूसर ने भगवान की तपस्या शुरु की। १० नवंबर २००८ | |||||||
"भाई, कालिदास मेघ को दूत बनाकर संदेश क्यों भेजता था?" "उसके पास मोबाइल नहीं था न?" | |||||||
३ नवंबर २००८ | |||||||
दीपावली की रात दो भिखारी सड़क की एक ओर बैठे दूसरी ओर जगमगाते हुए घर को बड़ी हसरत से देख रहे थे।
एक भिखारी दूसरे से बोला, ''देखो तो, सारा शहर खुशियाँ मना रहा है। सिर्फ दो ही ऐसे दुखियारे है जो जल रहे हैं।'' पहले ने पूछा, ''कौन?'' दूसरे ने उत्तर दिया, "एक हम भिखारी और दूसरे वे दीये।'' पहला भिखारी आह भरकर बोला, ''अरे उनसे हमारी कोई बराबरी नहीं। वे राजा हैं, हम रंक है। हम यहाँ फुटपाथ पर पड़े भूखे पेट जल रहे हैं पर वे तो राजमहल की छत पर घी पी-पीकर जल रहे हैं।'' | |||||||
२० अक्तूबर २००८ | |||||||
देवी लक्ष्मी का वाहन उल्लू एक दिन बहुत नाराज हो गया। उसने लक्ष्मी जी से कहा कि देवी आपको तो सब पूजते हैं लेकिन मुझे कोई नही पूछता। आख़िर मैं भी कोई कम हस्ती नहीं हूँ। धन की देवी का वाहन हूँ। लक्ष्मी जी को लगा इसकी माँग उचित है। उन्होंने उल्लू को आशीर्वाद दिया कि अब से मेरी पूजा से दस दिन पहले संसार की सभी विवाहित महिलाएँ तुम्हारी पूजा किया करेंगी। कहते है तभी से दीपावली के १० दिन पहले करवा चौथ का व्रत मनाने की परम्परा आरंभ हुई। | |||||||
१३ अक्तूबर २००८ | |||||||
एक बार मास्टर जी ने मुन्ना भाई से पूछा, " गांधी जयंती के बारे में क्या जानते हो? मुन्ना भाई बोले, " गांधी जी बहुत जबरदस्त आदमी था बाप लेकिन ये जयंती कौन है अपुन को नहीं मालूम।" ६ अक्तूबर २००८ | |||||||
एक बार एक पति पत्नी ख़रीदारी करने गए। चार घण्टों के बाद भी पत्नी खरीदारी रोकने का नाम ही नहीं ले रही थी और पति जो बेचारा सारा सामान उठाए उठाए साथ चल रहा था उसे बड़ा गुस्सा आ रहा था। तो पत्नि ने जब देखा कि पति महोदय नाराज़ हो रहे हैं तो थोड़ा मूड हल्का करने के लिहाज़ से बड़े रोमांन्टिक अंदाज़ में कहा: देखिए ना, चांद कितना हसीन लग रहा है। पति चिढ़ के बोला : हसीन तो बहुत लग रहा है, मगर इसे खरीदने के लिए अब पैसे नहीं हैं मेरे पास। | |||||||
२२ सितंबर २००८ | |||||||
एम.बी.बी.एस. पूरी करने के बाद मुन्ना भाई ने अपने पहले मरीज़ का मुआयना शुरु किया।
टॉर्च जला कर आँखे देखीं, कान देखे, जीभ और गला देखा और कहा, " बोले तो, टॉर्च एक दम मस्त है बाप" २२ सितंबर २००८ | |||||||
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एक सज्जन एक बार मुशायरा सुनने के लिए गए। सारी शायरी सर के ऊपर से गुज़र गई। वापिस आए तो उनके मित्र ने पूछा, " कैसा रहा मुशायरा?" वे बोले, "वैसे तो ठीक था मगर दो लोगों को बार बार आवाज़ लगती रही और अंत तक वो मंच पर आए ही नहीं!" मित्र ने पूछा, "कौन थे वो दो लोग?" वे बोले, "लोग बार बार कहते रहे - इरशाद इरशाद, मुकर्रर मुकर्रर.....और दोनों ही अंत तक मंच पर नहीं आए।" | |||||||
१५ सितंबर २००८ | |||||||
एक बार की बात है भारत में एक गाइड़ किसी विदेशी पर्यटक को दिल्ली घुमा रहा था। गाइड ने कहा, "यह हमारा संसद भवन है।" विदेशी पर्यटक ने कहा, बस....? इतना बड़ा तो हमारे यहाँ पीत्ज़ा होता है।" गाइड चुप रहा और उसे आगे ले गया। फिर बोला, "यह है हमारा लाल किला। विदेशी पर्यटक बोला, बस....? इतना तो हमारे यहां बर्गर होता है।" गाइड को गुस्सा तो बहुत आ रहा था मगर वह चुप रहा। गाइड उसे आगे कुतुब मीनार दिखाने पहुँचा। विदेशी पर्यटक ने पूछा, "ये क्या है?" गाइड बोला, "ये तुम्हारे पीत्ज़ा ऒर बर्गर पर टोमेटो सास डालने की बोतल है।" | |||||||
८ सितंबर २००८ | |||||||
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एक बार की बात है पेट्रोलियम मंत्री को एक पेट्रोल पंप का उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया। पहले उद्घाटन की रस्म पूरी हुई। उसके बाद नाश्ते आदि का कार्यक्रम चला। मंत्रीजी ने पेट्रोल पंप के मालिक से पूछा- भाई, बाकी तो सब ठीक है। लेकिन यह बताएँ, आपको कैसे पता चला कि इसी स्थान पर जमीन में पेट्रोल भरा हुआ है। | |||||||
१ सितंबर २००८ | |||||||
एक बार एक अखबार में साप्ताहिक भविष्यफल कुछ इस तरह छपा- | |||||||
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