भारत की आँखों का तारा
गंगोजमन का राज-दुलारा
कोटि कोटि कंठों का नारा
गूँजे दूर वितान से
लाल क़िले पर अमर तिरंगा
यों लहराए शान से जो प्रबुद्ध हैं जो सत्वर हैं
आगे बढ़ने को तत्पर हैं
जो विकास के निश्चित स्वर हैं
फैलें नए विहान से
लाल क़िले पर अमर तिरंगा
यों लहराए शान से हाथ मिले पनपे विश्वास
दूर दृष्टि नियमित अभ्यास
प्रगति लक्ष्य का सतत प्रयास
ठहरें नहीं विराम से
लाल क़िले पर अमर तिरंगा
यों लहराए शान से पर्वत नदियाँ पार करें हम
बनकर पारावार चलें हम
बादल बिजली आँधी पानी
डर कैसा तूफ़ान से
लाल क़िले पर अमर तिरंगा
यों लहराए शान से |