कभी मिलना कभी खोना कभी साथ
साथ चलना
ये है जिंदगी का मेला तुम
साथ-साथ हो ना
कहीं भीड़ है घनेरी, कहीं राह है अँधेरी
कहीं रौशनी की खुशियाँ, कहीं मछलियाँ सुनहरी
कभी सीढ़ियों पे चढ़ना
कभी ढाल पर फिसलना
ये है जिंदगी का मेला तुम
साथ-साथ हो ना
कभी चर्खियों के चक्कर कही शोर यातना सा
कुछ फिकरे और धक्के कुछ मुफ्त बाँटना सा
रंगीन बुलबुलों सा
कभी आसमाँ में उड़ना
ये है जिंदगी का मेला तुम
साथ-साथ हो ना
कहीं मौत का कुआँ तो कहीं मसखरों के जादू
कभी ढेर भर गुब्बारे कहीं मोगरों की खुशबू
कभी जिंदगी को सिलना
कभी मौत को पिरोना
ये है जिंदगी का मेला तुम
साथ-साथ हो ना |