Sorry, your browser doesn't support Java(tm). जानेमन नाराज़ ना हो समय पाखी उड़ गया तो भाग्यलेखा मिट गया तो पोर पर अनमोल यह पल क्या पता फिर साथ ना हो जानेमन नाराज़ ना हो ज़िंदगी एक नीड़ सी है हर तरफ एक भीड़ सी है कल ये तिनके उड़ गए तो फिर न जाने हम कहाँ हों जानेमन नाराज़ ना हो।
जानेमन नाराज़ ना हो समय पाखी उड़ गया तो भाग्यलेखा मिट गया तो पोर पर अनमोल यह पल क्या पता फिर साथ ना हो जानेमन नाराज़ ना हो
ज़िंदगी एक नीड़ सी है हर तरफ एक भीड़ सी है कल ये तिनके उड़ गए तो फिर न जाने हम कहाँ हों जानेमन नाराज़ ना हो।