अब भी भर आती आँखें
यदा कदा
प्रेरणा के पंख
बन जाते सहारा
अब भी यादों की बाहें
सँभाल लेती लड़खड़ाते ही
बात होती नहीं
लेकिन
कोरे कागज़ पर उभर आते
हीरक शब्द
अब भी सन्नाटे में गूँजते साम
दिखा देता दिशा
विश्वास का ध्रुवतारा
अँधेरा अब भी बदलता सुबह में
समय बीतता है
पर
खत्म होता नहीं इंतज़ार
अब भी बाकी है दोस्त पर भरोसा