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एक गीत और कहो

सरसों  के रंग सा महुए  की गंध सा
एक गीत और कहो मौसमी वसंत का

होठों  पर  आने  दो  रुके  हुए  बोल
रंगों  में  बसने  दो  याद  के  हिंदोल
अलकों  में  झरने  दो  गहराती  शाम
झील में पिघलने दो  प्यार  के  पैगाम

अपनों  के  संग  सा बहती उमंग सा
एक गीत और कहो मौसमी वसंत का



 

मलयानिल  झोंकों  में  डूबते  दलान
केसरिया  होने  दो  बाँह  के  सिवान
अंगों  में  खिलने  दो  टेसू  के  फूल
साँसों  तक  बहने  दो  रेशमी  दुकूल

तितली  के  रंग  सा उड़ती पतंग सा
एक गीत और कहो मौसमी वसंत का।

 


 

 

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