रचनाकार
नरेन्द्र कोहली
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प्रकाशक
हिंद पाकेट बुक्स
दिल्ली
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पृष्ठ - १३६
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मूल्य :
$ ६.९५
(कूरियर से)
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प्राप्ति-स्थल
भारतीय साहित्य संग्रह
वेब पर
दुनिया के हर कोने में
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'हम सबका
घर तथा अन्य कहानियाँ (बाल साहित्य)
बच्चे हमारी अमूल्य संपत्ति
है, यह लुट जाएगी यदि इसे संस्कार नहीं दिए जाएँगे।
बाल्यावस्था जीवन की नींव होती है। इस नाजुक समय में यदि
सही मार्गदर्शन व अच्छे संस्कार बच्चों को दिए जाएँ तो वे
जीवन में सफलता प्राप्त कर आदर्श नागरिक
बन सकेंगे अन्यथा गलत
कार्यों में प्रवृत्त हो देश की प्रगति और विकास में
अवरोधक ही बनेंगे।
वरिष्ठ कथाकार नरेन्द्र कोहली समकालीन कथा साहित्य में एक
लोकप्रिय कथाकार के रूप में प्रतिष्ठित हैं। कोहली जी ने
साहित्य की अनेक विधाओं में महत्वपूर्ण लेखन किया है। उनके
राम कथा, कृष्ण कथा, महाभारत कथा तथा विवेकानंद के जीवन पर
आधारित उपन्यासों की शृंखलाओं ने हिन्दी साहित्य को
समृद्धि प्रदान की। उनकी रचनाऔं में निहित नैतिक आदर्शों
तथा जीवन-मूल्यों ने वर्तमान संकटग्रस्त सदी के
मार्गनिर्देशन में अहम भूमिका का निर्वहन किया है।
नरेन्द्र कोहली बाल-साहित्य में भी अपना एक विशिष्ट स्थान
रखते हैं। बच्चों तथा किशोरों को समझदार तथा विवेकशील बनाने
की दिशा में उनकी रचनाओं की सार्थक भूमिका से इंकार नहीं
किया जा सकता।
कोहली जी के कहानी संग्रह ‘हम सबका घर तथा अन्य कहानियाँ’
में संकलित कहानियाँ इस नाते प्रशंसनीय एवं सराहनीय है कि
वे बाल तथा किशोरों के चरित्र-निर्माण तथा सही आदतों के
विकास में प्रभावी भूमिका निभाती हैं। संग्रह में संकलित
सभी कहानियाँ बाल तथा किशोर पात्रों को केन्द्र में रखकर
लिखी गई हैं। इन कहानियों में लेखक उपदेश नहीं देता अपितु
व्यावहारिक स्तर पर ऐसे कथानक प्रस्तुत करता है जो बच्चों
को स्वयं निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करते हैं कि उनके
लिए क्या सही है, क्या गलत।
‘छोटी सुविधा बड़ी असुविधा’ कहानी में पिता द्वारा पुत्र को
दी जा रही नसीहतें यह रेखांकित करती हैं कि हम नियमों तथा
कानूनों का पालन करके पुलिस व प्रशासन पर अहसान नहीं कर
रहे हैं बल्कि यह हमारी अपनी सुरक्षा व हित की बात है।
‘चुनाव का अधिकार’ बाल मनोविज्ञान पर आधारित है। अक्सर
मां-बाप द्वारा बच्चों पर अपनी पसंद-नापसंद व इच्छाएँ थोपी
जाती हैं। परंतु इस कहानी में कथाकार यह संदेश संप्रेषित
करने में सफल रहा है कि बच्चों के मानसिक तथा बौद्धिक
विकास के लिए उन्हें निर्णय अर्थात चुनाव का अधिकार दिया
जाना बहुत आवश्यक है। |
‘ज्योतिषी’ शीर्षक कहानी में
शर्मा जी द्वारा निराश मुस्लिम युवक मुहम्मद इस्माइल के
प्रति स्नेहपूर्ण तथा सहयोगपूर्ण व्यवहार को दर्शाया गया
है। शर्मा जी अपने विनोदी स्वभाव से न केवल मोहम्मद
इस्माइल की समस्या को हल करते हैं अपितु अपने सहकर्मी
खुशीराम को भी खुशी प्रदान करते हैं। संग्रह की शीर्षक
कहानी ‘हम सबका घर’ बच्चों के सामान्य ज्ञान-विज्ञान को
बढ़ाती है। पर्यावरण संरक्षण व प्राकृतिक संसाधनों के
विवेकपूर्ण उपयोग का सेदश संप्रेषित करती है यह
कहानी।
बच्चों को पर्यावरण प्रदूषण के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाले
संकट के प्रति सचेत करने के साथ-साथ प्रकृति की रक्षा के
प्रति संकल्पबद्ध होने की प्रेरणा यह कहानी देती है। इस
संदर्भ में स्वयं कोहली जी लिखते हैं-‘पानी के गंदे हो
जाने की घटना हमारे अपने घर में घटी। उसें मेरे बच्चों ने
इतने निकट से देखा कि नदियों के प्रदूषित होने की
प्रक्रिया को समझने
में उन्हें कठिनाई नहीं है। मैं यह मानता हूं कि व्यापक
प्रश्न भी सामान्य जीवन की छोटी घटनाओं से कुछ बहुत पृथक
नहीं होते। बच्चों और व्यस्कों की सौंदर्य-चेतना में भी
बहुत भेद नहीं होता।’ इस प्रकार खेल-खेल में बच्चों को
जटिल विषयों के प्रति जागरुक और सावधान करने में नरेन्द्र
कोहली जी सफल रहे हैं।
इन कहानियों में उपदेश नहीं है, परंतु उद्देश्य अवश्य है।
कोहली जी बाल-मनोविज्ञान के पारखी हैं। इन कहानियों में
अनेक प्रसंग ऐसे आते हैं जहां बाल सुलभ जिज्ञासाएँ पैदा
होती हैं और उनके स्वाभाविक उत्तर कथाकार द्वारा प्रायोगिक
आधार पर दिए जाते हैं। विज्ञान-तकनीक तथा सूचना-संचार की
इस सदी में तर्क के आधार पर ही चीजों को स्वीकारा और नकारा
जा रहा है। ऐसे में कथाकार उपदेशक न बनकर वैज्ञानिक बनकर
बच्चों को प्रैक्टिकल होकर प्रेरित करता है। संग्रह की सभी
कहानियों में लेखक का यही प्रयास रहा है जो स्तुत्य भी है
और इन कहानियों को विशिष्टता भी देता है।
कथ्य, शिल्प और भाषा के स्तर पर भी लेखक ने बड़ी समझदारी से
काम लिया है। ये कहानियाँ क्योंकि बाल तथा किशोर वर्ग को
संबोधित करके लिखी गई हैं तो स्वाभाविक रूप से इन कहानियों
में लेखक द्वारा प्रयुक्त भाषा सरल तथा सहज है, जो किशोरों
के लिए सर्वथा उपयुक्त है। संवाद शैली बच्चों तथा किशोरों
के लिए सरस तथा मनोरंजक है। इन कहानियों में लेखक की अपनी
देखी-भाली घटनाएँ अभिव्यक्त हुई हैं। ये कहानियाँ हमारे
जीवन तथा परिवेश से जुड़ाव रखती हैं और हमारी रोजमर्रा की
जिंदगी में काम आने वाली छोटी-छोटी सीखें हमें देती हैं।
- कृष्ण कुमार अग्रवाल
१४ नवंबर
२०११ |