तारे जैसे बहुत दूर
पर
साथ साथ हर रोज
दोस्त तुम हो

फूलों की
मनरची गंध से
तितली के
अभिनमित पंख से
हर दिन हफ्ता साल
मुदित मुस्काए
दोस्त तुम हो

सुबह की धूप
कि जैसे
समा न पाए अँजुरी में
पर
मन घर आँगन
सभी जगह बिखराए
दोस्त तुम हो

जीवन के
गहरे सागर की
 तलहटियों में पलने वाले
सपनों को दे दिशा
सत्य पर
मदिर मदिर तैराए
दोस्त तुम हो

लगी आस में
बुझी प्यास में
मन उदास में
तम उजास में
साँस बाँस में
पूरी तरह समाए
दोस्त तुम हो

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